वीडियो जानकारी:<br /><br />शब्दयोग सत्संग, फ्री हर्ट्स कैंप<br />१४ अप्रैल, २०१८<br />ऋषिकेश<br /><br />दोहा:<br />रुखी-सूखी खाय के, ठंडा पानी पीयो,<br />देख पराई चोपड़ी, मत ललचाए जीयो। (शेख़ फ़रीद)<br /><br />प्रसंग:<br />रूखी सूखी खाय के, ठंडा पानी पीय इस दोहे का क्या आशय है?<br />गलत समझ आने के बाद भी उसे छोड़ने की हिम्मत क्यों नहीं पड़ती है?<br />क्या सुख और दुःख दोनों एक ही चीज है?<br />साक्षी कैसे रहें?<br />शाश्वत क्या होती है?<br />इस संसार में क्या है जो शाश्वत है?
